पुष्पांजलि मंत्र



                                    कर्पूर गौरमं कारुणावतारं
संसार सारम भुजगेंद्र हारम |
सदा वसंतां हृदयारविंदे
भवम भवानी साहितम् नमामि ||
वृंदालमाला च कुर्तारकाले 
कृपालमाला     शिवशेखराय ||
दिगंम्बराय च नमः शिवाय 


                                             ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्
ते हं नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्ये साहिने |
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे
स मे कामान्कामकामाय मह्यम्|
कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु|
कुबेराय वैश्रवणाय | महाराजाय नम:
ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठ्यं राज्यं माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी स्यात सार्वभौमः 
सार्वायुष आंतादापरार्धात्पृथिव्यै समुद्रपर्यंता या एकराड़िति
तदप्येष श्लोकोऽभिगीतो मरुत: परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन्गृहे
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति।
ॐ विश्व दकचक्षुरुत विश्वतो मुखो विश्वतोबाहुरुत
विश्वतस्पात संबाहू ध्यानधव धिसम्भत संपततैय  ध्यावा भूमी जनयंदेव एकः।

ॐ नारायणाय  विद्महे वासुदेवाय धीमहि
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

ॐ सीता वल्लभाय विद्महे दशरथनंन्दनाय धीमहि
तन्नो रामः प्रचोदयात्॥

ॐ अंजनिनन्दनाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि
तन्नो हनुमत प्रचोदयात्॥

ॐ कात्यायनयी च विद्महे कन्याकुमारयी च धीमहि
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

नाना सुगंधि पुष्पांनी यथाकालोद भवानीच
पुष्पांजलीर्मयादत्तो ग्रहणाम्  परमेश्वर

अमित सुगंधित सुमन ले सुमन ले भक्ति सुजान 
पुष्पांजलि अर्पित करू मेरी मात् करो स्वीकार
मेरी मैया जी करो स्वीकार 
मंत्र पुष्पांजली समर्पयामि।।

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